हनुमान जयंती या हनुमान जन्मोत्सव 2024 शुभ मुहूर्त में करें संकट मोचन क्या पूजन पाएं सर्वाधिक लाभ
- Dr. Aaadietya Pandey
- Apr 22, 2024
हनुमान जन्मोत्सव 2024 हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त में करें संकट मोचन क्या पूजन पाएं सर्वाधिक लाभ
हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है | भारतवर्ष में हनुमान जी का जन्मोत्सव बड़े उमंग एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है | इस साल हनुमान जयंती 24 April 2024 को मनाई जा रही है | सनातन धर्म में हनुमान जन्मोत्सव खास माना जाता है | माता अंजना वानर राज के पुत्र हनुमान जी को बजरंगबली, वायुपुत्र, अंजनी पुत्र के नाम से भी जाने जाते हैं |
![Hanuman Tandav Hanuman Jayanti](https://www.astrojyotishi.com/upload/11-hanuman.jpg)
हनुमान जयंती या हनुमान जन्मोत्सव ?
हनुमान जयंती कहने के स्थान पर हमें इसे हनुमान जन्मोत्सव कहना चाहिए क्योंकि जयंती तो उनकी मनाई जाती है जो की देह शांत हो चुके हो और वर्तमान में धरती पर मौजूद न हो | बजरंगबली जी को चिरंजीवी मानते हैं और मानते हैं कि वह आज भी धरती पर मौजूद हैं और सभी के कष्टो का निवारण करते हैं |
हनुमान जी को नारंगी सिंदूर क्यों चढ़ाते हैं ?
बताते हैं कि एक बार उन्होंने माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखा | पूछने पर माता सीता ने बताया कि यह सौभाग्य सूचक है और इससे उनके सौभाग्य यानि भगवान श्री राम जी के उम्र में बढ़ोतरी होती है | यह सुनकर हनुमान जी अति प्रसन्न हुए और उन्होंने सिंदूर अपने पूरे शरीर पर ही लगा लिया | जब हनुमान जी से पूछा गया कि आपने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि जब माता सीता चुटकी भर सिंदूर ही लगाती हैं , तो भगवान श्री राम जी का पूर्ण प्रेम सानिध्य उन्हें मिलता है और और भगवान श्री राम जी की उम्र बढ़ती है, भगवान जी का सौभाग्य बढ़ता है ऐसे में अगर मैं पूरे शरीर पर लगा लूंगा तो राम जी को कितना अधिक लाभ मिलेगा | इसी घटना के बाद हनुमान जी को भक्तगण नारंगी सिंदूर से लेप करते हैं |
हनुमान जन्मोत्सव के दिन पूजन के विशेष मुहूर्त निम्न है :
पहला मुहूर्त : प्रातः 4:21 से 5:04 तक
दूसरा मुहूर्त : प्रातः 9:03 से 10:41
तीसरा मुहूर्त : (जो कि सब शक्तिशाली है) रात्रि 8:14 से 36 मिनट तक
रात्रि के समय हनुमान जी के पूजन का लाभ बढ़ जाता है कोटी गुना पड़ जाता है |
कौनसा मंत्र है जिससे करें हनुमान जी का पूजन तो हनुमान जी हो जाएंगे तुरंत प्रसन्न ?
कहते हैं राम नाम सुनने को आतुर.... राम कथा सुनने को रसिया..... इसलिए हनुमान जी को प्रसन्न करना है तो सबसे सरल शक्तिशाली अचूक लाभ देने वाला मंत्र है :
" ओम राम रामाय नमः "
हनुमान जयंती पर खास उपाय :
उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे | चौकी पर लाल रंग का कपड़ा रखें | उसके बाद हनुमान जी का कोई ऐसा चित्र जिसमें श्रीराम जी के साथ हैं वह स्थापित करें | हनुमान जी को लाल कनेर अथवा लाल गुड़हल अथवा चमेली के पुष्प चढ़ाएं तथा श्रीराम जी को पीले पुष्प अर्पित करें | घी अथवा सरसों का दीपक प्रज्वलित करें और हनुमान जी को लड्डू का भोग अर्पित करें |
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हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें |
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घर में अगर तंत्र का प्रभाव है हनुमत तांडव स्तोत्र का पाठ करें |
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व्यापारी समस्याओं से बचाना है तो फिर हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाए |
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बजरंग बाण का पाठ करने से शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है |
हनुमत तांडव स्तोत्र
वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम् । रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥
भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम् ।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम् ॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न ।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥
सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम् ॥
सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम् ।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः ॥
प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत् ।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम् ॥
नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम् ।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलङ्कदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम् ॥
रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम् ।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम्सु सूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम् ॥
नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा। यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः ।
सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम् ॥
इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः ।
प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह ॥
नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे । लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥
वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम् । रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥